20 हे मनसे तुम कोन हबा, जउन भगवान काहिन जबाब देथा? का बनाय हर चीज बनामै बाले लग पूछ सकथै, “कि तै मोके असना काखे बनाय हबस?”
का हइ सही नेहको हबै, कि मै अपन पइसा के जउन कुछु चइहो उहै करिहों? का मोर उदार होयके तुम्हर आंखी हे खटकत हबै?
यीसु उके जबाब दइस, हे “भाई कउन मोके तुम्हर नियाव या बाटै बाले चुने हबै?”
तुम कोहर हबा, जउन भगवान के हरवाह जन के दोसी ठहराबा? असना मनसे अपन परभु के आगू जिम्मेदारी हबै, इहैनिता भगवान बाफ उके ठाड रखै हे सक्तिसाली हबै।
इहैनिता हे मनसे तुम जउन दूसर हे दोस लगाथा, तुम कउनो बहाना नेहको बनाय सकथा, काखे जउन बात हे तुम मनसेन के बुराई करथा, तुम खुदय उहै काम करथा।
हे मनसे तै असना काम करे बाले के उप्पर दोस लगाथस अउ तै खुदय ऊ काम करथस, ता तै का समझथस कि भगवान कर नियाव लग बच जइहे?
का कुम्हरा के माटी हे हक नेहको? कि अक्ठिन लोंदी मसे अक्ठिन भडवा आदर के निता अउ दूसर के बेज्जती के निता बनाय।
पय एहमा का हबै, अगर भगवान अपन गुस्सा दिखामै के निता अउ अपन सक्ति परगट करै के निता उन मनसेन के जउन गुस्सा के निता रथै अउ जिनखर नास होय बाले रथै, बोहत धीर के संग उन बातन के सहन करिन।
हइ दुनिया के ग्यानी मनसे, गुरू अउ मूसा कर किताब के जानकार कछो हबै? का भगवान हइ दुनिया के ग्यानिन के मूरुख नेहको ठहराइस?
तै का जानथस, हुइ सकथै कि डउकी अपन डउका के मुकति के कारन बन जाय, अउ डउका अपन डउकी के मुकति के कारन बन जाय।
अउ लगेतार झगडा पइदा होथै, हइ सब असना मनसेन के काबिल हबै, जेखर मन बेकार अउ सही लग हट गय हबै, अउ हइ समझथै, कि महिमा फायदा के अक्ठी साधन हबै।
बडा घर हे केबल सोने चांदी के पय लकडी अउ माटी के भडवा होथै, कउ-कउ इज्जत अउ कउ अनादर के निता।
हरवाह के समझा कि अपन-अपन मालिक के वस हे रहै, अउ सगलू बातन हे उनही खुस रखै, अउ बात के उलटा जबाब झइ दे,
मूरुख, का तुम एखर परमाड चाहत हबा कि कामन के बिना बिस्वास बेकार हबै?