पीरा के टेम आमै लग डउकी के दुख होथै, काखे ओखर टेम आय गय हबै, पय जब लरका पइदा करै के बाद ऊ अपन दुख के बिसर जथै, काखे उके खुसी होथै कि दुनिया हे अक्ठी मनसे के जनम होय हबै।
पय तुमके बिस्वास के नीह हे मजबूत अउ अडे बने रहे चाही अउ ऊ आसा लग नेहको भटके चाही, जउन तुमके संदेस के दवारा देबाय गय हबै, ऊ परचार बादर के तरी सगलू रचना के सुनाय गय हबै अउ मै पोलुस ओखर सेबक बने हव।