ऊ सत्य के आतमा हबै, जेही दुनिया स्वीकार नेहको करथै, काखे दुनिया न तो ओही देखे हबै, अउ न ओही जानथै, तुम ओही जानथा, काखे ऊ तुम्हर हे निबास करथै, अउ ऊ तुम्हर संग हरमेसा बने रही।
पय तुम पापी आदत के नेहको पय पवितर आतमा हे होय अगर सहीमा तुम्हर हे भगवान कर आतमा रथै, जउन मनसे के भित्तर मसीह के आतमा नेहको रथै, ऊ मसीह के नेहको हुइ सकै।
सही हइ हबै कि ई घर हे रहत भरमा हम भार हे दबे हर दुख हे रथन, काखे हम चाहथन कि हम बिना कपडा के नेहको रही, पय कपडा पहिरी कि जउन कुछ सारीरिक हबै ऊ जीवन के निरवाह बन जाय।