“हे ढोंगहा गुरू अउ फरीसी तुमही लानत हबै, तुम मनसेन के निता स्वरग राज कर दूरा के बन्द करथा, न खुद ओहमा घुसथा अउ न उनही जाय देथा, जउन जाय के निता परयास करथै।”
सरदार निक्खा काम करै बालेन हे नेहको, बलुक बेकार काम करै बालेन हे डर पइदा करथै, का तुम साहबन के डेर लग आजाद रहै चाहथा? ता उहै काम करा जउन सही हबै अउ उन तुम्हर परसंसा करही।