35 या कोहर आगू उके कुछु दय हबै, जेखर पलटा कुछु दय जाय।
का हइ सही नेहको हबै, कि मै अपन पइसा के जउन कुछु चइहो उहै करिहों? का मोर उदार होयके तुम्हर आंखी हे खटकत हबै?
कउन हबै ऊ, जउन तुमही दूसर लग बोहत मानथै, तुम्हर लिघ्घो काहिन हबै, जउन तुमही नेहको दय गय होय? अउ अगर तुमही सब कुछ दान हे पाय हबा, ता तुम असना घमंड काखे करथा? जसना कि तुमही नेहको दय गय होय।