29 उन हर मेर के बेकार काम, दुस्टता, लालच अउ बुराई लग भर गइन, उन इसाय लगिन, खून, बैर, छल अउ कानाफूसी लग भर गय हबै।
पय मै तुम्हर लग हइ कथो, जउन कउ अपन डउकी के गलत काम के सिबाय कउनो अउ कारन लग छोडथै, ता ऊ ओखर लग गलत काम करवाथै अउ जउन कउ ऊ छांडे हर डउकी लग काज करथै, ऊ गलत काम करथै।
पवितर किताब के लेख इहै हबै, कउनो धरमी मनसे नेहको, अकोठे नेहको कउनो नेहको, जेहमा सोचै के सक्ति होय।
मोके हइ डर हबै कि मोर उहां आमै हे मै तुमके अपन आसा के जसना न पाव अउ तुमो मोके अपन आसा के जसना न पाबा, मोके डर हबै, कि उहां झगडा, जलन, गुस्सा अउ बेवस्था ठीक न हो।
इहैमेर ले डउकीन के गंभीर होय चाही, दोस लगामै बाले झइ होय, पय सचेत अउ सगलू बातन हे बिस्वास करै बाले होय।
हइ मै इहैनिता गुठेथो, काखे हमु पहिले मूरुख रहन, अउ आदेस न मानै बाले अउ भरम हे पडे हर अउ बोहत मेर के लालच अउ सुखबिलास हे फसे रहन, अउ छुवाछुत, अउ जलन करै हे जीवन जियत रहन, अउ घिनहा रहन, अउ अक दूसर लग इसात रहन।