ऊ डउकी बैगनी अउ लाल रंग के फरिया पहिने हर रथै, ऊ मंहगी सोना अउ मोती लग सजे हर रथै ऊ अपन हाथ हे सोना के अक्ठी खोरिया लय हर रथै, जउन बेकार बात अउ ओखर गलत काम के असुध्द चीजन लग भरे हर रथै।
काखे ओखर गलत काम के भयंकर दारू के कारन सगला कुर गिर गय हबै, अउ भुंइ के राजा ओखर संग गलत काम करे हबै अउ भुंइ के बनिया ओखर सुख-बिलास के कारन बोहत धन्नड हुइ गय हबै।”
काखे ओखर फइसला सही अउ धरमी हबै, ऊ बेसिया के सजा दय हबै, जउन अपन गलत काम के दवारा भुंइ के मनसेन के असुध्द करथै, भगवान ओखर लग अपन हरवाह के खून के पलटा लय हबै।”
बचे हर मनसे, जउन हइ महामारी लग नास नेहको होय रथै, अपन हाथ के कामन लग मन नेहको फिराइन, उन परेत अउ सोना, चांदी, पीतर अउ लकडी के उन मूरती के पूजा करथै, जउन न तो देख सकथै अउ न सुन सकथै अउ न चल सकथै।