एखर बाद भुंइ के चारो पल्ला चार स्वरगदूत के मै ठाढ देखो, भुंइ के चारो हवा के रोक के रखै रथै, ताकि भुंइ हे सागर हे अउ रूख हे उनखर मसे कउनो के उप्पर हवा झइ चल पाबै।
फेर मै देखो कि अक्ठी अउ स्वरगदूत हबै, जउन दिन उगती तरफ लग आउत देखथै, ऊ जिन्दा भगवान के सील लय हर रथै अउ ऊ उन चारो स्वरगदूतन लग जेही भुंइ अउ बादर के नास के देय के हक दय गय रथै, बोहत सब्द लग चिल्लाय के कहत रहै।