ऊ राजगद्दी के आगू, चारो परानी अउ सियान के आगू अक्ठी नबा गीत गाथै, उन अक लाख चवालिस हजार मनसे के अलाबा, जउन सगलू भुंइ के मनसेन मसे खरीदे गय रथै अउ कउ ऊ गीत नेहको सीख सकथै।
तब मै अक्ठी दूसर स्वरगदूत के बीच बादर हे उडत देखो, भुंइ हे रहैबाले के हर अक्ठी देस, कुर, भासा अउ कास्ट के मनसे सुनामै के निता ओखर लिघ्घो अक्ठी निक्खा अनन्त संदेस रथै।
एखर बाद मै देखो कि बेरा के उप्पर अक्ठी स्वरगदूत ठाढ हबै, ऊ बादर हे उडै बाले सगलू चिरइयन लग ऊंच आरो लग कथै, “आबा, भगवान कर महाभोजन के निता अकजुट हुइ जा।