14 अउ बादर फट गय रथै अउ अक्ठी किताब के पन्ना के जसना सुकुल के चिपक जथै, सगलू डोंगर अउ दीप अपन-अपन जिघा लग डोल गय रथै।
परभु के रोज चोरटन मेर आय जही, ऊ रोज बादर गरजत तेज आरो करत नास हुइ जही, अउ तत्व जर के पिघल जइही अउ भुंइ अउ ओखर हे करे हर सगलू काम परगट हुइ जइही।
सगलू दीप खतम हुइ गइस अउ डोंगर गायब हुइ गइस।
फेर मै अक्ठी बडा चरका राजगद्दी के अउ उके ओखर उप्पर बइठे रथै, देख ओखर आगू लग भुंइ अउ बादर भुलाय गइस, उनखर पता तक नेहको चल पाइस।
तब फेर मै अक्ठी नबा स्वरग अउ नबा भुंइ देखो, काखे पहिला स्वरग अउ पहली भुंइ भुलाय चुके रथै अउ ऊ समुन्दरो नेहको रहिस।