13 अउ बादर के तरइया भुंइ हे गिर पडिस, जसना बडेरा लग डोलय लग अंजीर के रूख लग रोड्डा फडुहा झर जथै।
“उन रोज के पीरा ओखर हरबी बाद बेरा अंधियार हुइ जही, जोंधइया उजेड नेहको दइ, तरइया बादर लग गिर जइहिन अउ बादर के सक्ति के डोलाय जही।
अउ बादर ले तरइया गिरै लगहिन, अउ बादर के सक्ति डोलाय जही।
“बेरा, जोधइया अउ तरइया हे चिन्हा सुरू होही अउ भुंइ हे सगलू जात हे दिग्गत आही अउ सागर हे उधल पुथल लग घबरा जइहिन।
जब पचमा स्वरगदूत पोंगा बजाइस ता मै बादर लग भुंइ हे गिरे हर अक्ठी तरइया देखो, जउन पत्ताल कुन्ड के चाभी दय गय रथै।