19 अउ अगर आगू कर बात के हइ किताब हे लिखे हर बचन मसे कउनो अक्ठी सब्द हटाय जही ता भगवान हइ किताब हे लिखे हर जीवन रूख अउ पवितर सहर मसे ओखर भाग ओखर लग निकाड देही।
मै स्वरग लग अक्ठी आरो हइ आदेस देत सुनाई देथै, “लिख, धन्य हबै।” ऊ मिरतू, जउन अब लग परभु हे बिस्वास करत मरे हबै, आतमा कथै, “असनेन होय, ताकि ऊ अपन मेहनत के बाद आराम के सकै, काखे उनखर निक्खा काम उनखर संग हबै।”
हइ नदिया सहर के बडा रास्ता लग बहत, नदिया के दोनो पल्ला जीवन के रूख हबै, जेहमा बारह मेर के फडुहा उत्पन्न होथै, हइ रूख हे हर महिना फडुहा देथै हइ रूख के पत्ता हे देस-देस के मनसेन के निक्खा करै के सक्ति हबै।
जउन जीत पाही उके मै अपन भगवान के मन्दिर हे अक्ठी खम्भा बनाहुं। अउ ऊ फेर कबहुन बाहिर नेहको निकडही अउ मै अपन भगवान के नाम अउ अपन भगवान के सहर मतलब नबा यरुसलेम के नाम, जउन मोर भगवान के लिघ्घो लग स्वरग लग उतरै बाले हबै अउ अपन नबा नाम ओखर उप्पर लिखहुं।