13 जउन समुन्दर हे मरे हर रथै, उनके समुन्दर भगवान के आगू ठाढ करिस अउ नरक हे जिनखर मिरतू हुइ गय रथै, ऊ ओखर आगू ठाढ करिस, हर अक्ठी मनसे के उनखर काम के जसना सजा दय गइस।
हे कफरनहूम काखे तै सोचथस कि तोके स्वरग के महिमा लग उप्पर उठाय जही? तै तो नरक छो जइहे, जउन सक्ति के काम तोर लग करे गय रहिस, अगर ऊ सदोम हे करे जातिस ता ऊ सहर आज तक बने रहतिस।
मै उनखर लरकन के मार डरिहों अउ सगलू मंडली के हइ पता चल जही कि मै उहै यहों जउन मनसे के मन अउ उनखर दिमाक के जानथो, मै तुम सबझन के तुम्हर कामन के जसना सजा देहुं।
फेर मै नान होय या बडा सगलू मरे हर मनसे के राजगद्दी के आगू ठाढ देखथो अउ किताब खोले गइस, तब अक्ठी दूसर किताब मतलब जीवन के किताब खोले गइस अउ किताबो हे लिखररे हर बातन के जसना मरे हरन के उनखर काम के जसना सजा दय गइस।
भगवान उनखर आंखी लग हर अक्ठी आंसू पोंछ डालही अउ उहां अब न कबहुन मिरतू होही, न सोक के कारन कउ रइहिन अउ न कउनो पीरा, काखे हइ सगलू पुरान बात समापत हुइ चुके हबै।”
तब मोके उहां अक्ठी घोडवा दिखथै, जउन पीला रंग के रथै, जउन ओखर उप्पर बइठे रथै, ओखर नाम मिरतू रथै अउ नरक ओखर पाछू-पाछू चले आथै, उके भुंइ के अक्ठी चउथाई भाग हे हक दय गइस, कि अकाल महामारी अउ पतेरा के गोरू दवारा नास करै के हक दय गइस।