लुदिया नाम के थुआतीरा सहर के बैगनी कपडा बेचै बाले अउ भगवान कर आराधना करथै, ऊ डउकी हमर बात सुनत रथै। परभु ओखर मन के दूरा खोलथै कि ऊ पोलुस के बातन हे मन खुसी लग सुनै।
पय तुम थुआतीरा के बचे हर मनसेन लग जेतका हइ सिक्छा के नेहको मानथै अउ उन बातन के जिनखर भुतवा के गहिड बात कथै नेहको जानथै, हइ कथै कि मै तुम्हर उप्पर अउ बोझा नेहको डालहुं।