ऊ दूसर गोरू सगलू मनसेन के चाहे ऊ नान होय या बडा, धन्नड होय या गरीब, अजाद हरवाह या कैदी, सगलू के दहिना हाथ पल्ला या लीलार हे अक्ठी चिन्हा छाप लगुवामै के निता मजबूर करिस।
फेर मै नान होय या बडा सगलू मरे हर मनसे के राजगद्दी के आगू ठाढ देखथो अउ किताब खोले गइस, तब अक्ठी दूसर किताब मतलब जीवन के किताब खोले गइस अउ किताबो हे लिखररे हर बातन के जसना मरे हरन के उनखर काम के जसना सजा दय गइस।
इहैनिता ऊ भगवान के राजगद्दी के आगू ठाढ हबै अउ ओखर मन्दिर हे दिन रात ओखर सेबा करत रथै अउ ऊ जउन राजगद्दी हे बइठे हबै, उनही सुरक्छा परदान करही अउ तम्बू जसना तानही।