तब अंगूर सहर के बाहिर कुन्ड हे रउंदे गइस अउ ऊ कुन्ड हे खून बहिस, खून के लम्बाई तीन सव कोस के दुरिहां तक फइल गइस अउ घोडवा के लगाम के उंचाई तक पहुंच गइस।
एखर बाद मै देखो कि मोर आगू अक्ठी बडा भीड के ठाढ देखे रथो, जेखर गिनती कउ नेहको कर सकथै, हइ भीड मसे हर कुर के मनसे, हर भासा के मनसे रथै, उन ऊ राजगद्दी अउ ऊ गेडरा के आगू ठाढ रथै, ऊ चरका खुरथा पइजामा पहिने रथै अउ उन अपन हाथन हे खजूर के डगइल लय हर रथै।