4 फेर मै स्वरग लग अक्ठी अउ आरो सुनो, हे मोर मनसे ऊ बडा देस मसे निकड आबा, कहुं असना झइ होय कि तुम ओखर पाप हे सहभागी, अउ ओखर परेसानी के सिकार बन जा।
अउ हइ कथा, अगर हम अपन पुरखन के रोज हे होतन, उन जउन करे अउ जउन ग्यानी मनसेन के हत्या करे हबै उनखर सहमति नेहको होतन।
इहैनिता परभु कथै, “तुम उनखर बीच लग बाहिर निकडा, उनखर खुद के अलगे के लेया, अब तुम कबहुन कुछु चीज के झइ छुइहा, जउन असुध्द हबै, तब मै तुमके अपनइहों।”
तुम जरूरी बिचार करे बिना कउनो के उप्पर पक्छपात झइ करा, अउ दूसर के पाप के सहभागी झइ बना, अउ खुद के पवितर बनाय रखा।
काखे जउन कउ असना मनसे के सोगत करथै, ऊ ओखर बेकार कामन हे सहभागी होथै।