जेही धरमी हाबिल लग लइके बिरिक्याह कर टोरवा जकरयाह तक, जेही तुम बेदी अउ मन्दिर के बीच हे मार डारे रथा, जेतका धरमी मनसेन के खून भुंइ हे बहोय गय हबै, ऊ सगलू तुम्हर मुंडी हे पडही।
काखे ओखर फइसला सही अउ धरमी हबै, ऊ बेसिया के सजा दय हबै, जउन अपन गलत काम के दवारा भुंइ के मनसेन के असुध्द करथै, भगवान ओखर लग अपन हरवाह के खून के पलटा लय हबै।”