तब मोके स्वरग लग उतरत अक्ठी दूसर सक्तिसाली स्वरगदूत के देखथै, जउन बादर के बन्डी के जसना पहिने हर रथै, ओखर मूड दबोरा के सात रंग के जसना रथै, ओखर चेहरा बेरा कस अउ गोड आगी के खम्भा के जसना रथै।
अब लग तोके गाय बाले, बीना, बसुरी अउ तुरही के आरो कबहुन सुनाई नेहको देही, अब लग मिसतिरी के कउनो काम तोके फेर कबहुन नेहको मिलही, अब लग तोके चकिया के आरो सुनाई नेहको देही।