19 फेर उन अपन मूड हे धूर डालत अउ रोउत कथै, “हे महानगरी, हाय-हाय जेखर पइसा के दवारा समुन्दर के सगलू नाह जिहाज बाले मालिक धन्नड हुइ गय रथै, पय अब तै घंटा भर हे सगलू खतम हुइ गइस।”
अउ जउन गोरू अउ दस सींग तै देखे हबस, ऊ गलत काम लग घिनइहिन, उके बिना फरिया के अकेल्ले छांड दइहिन, ओखर मांस खइहिन अउ उके आगी हे जराय दइहिन।
ऊ ओखर पीरा लग डर के उहै लग बोहत दुरिहां ठाढ हुइके कइहिन, हे महानगरी, बेबीलोन, “हे महानगरी, सक्ति बाले, हाय हबै तोर उप्पर घंटा भरमा हे तोर सजा के टेम आय पहुंचे हबै।”
काखे ओखर गलत काम के भयंकर दारू के कारन सगला कुर गिर गय हबै, अउ भुंइ के राजा ओखर संग गलत काम करे हबै अउ भुंइ के बनिया ओखर सुख-बिलास के कारन बोहत धन्नड हुइ गय हबै।”
इहै कारन अक्कै रोज हे ओखर उप्पर परेसानी आ पडही, मतलब महामारी, दुख अकाल, अउ उके आगी हे जराय दय जही, काखे सक्तिमान हबै परभु भगवान जउन ओखर नियाव करही।