18 अउ ओखर जलै के धुंवा के देखके बोहत आरो लग कथै, “हइ महानगरी के बरोबरी कउन सहर के सकिस?”
अउ ऊ उस पोखडी बाले अजगर के पूजा करे लग जथै, काखे ऊ अपन सगलू हक ऊ गोरू के दइ देथै, उन ऊ गोरू के पूजा करत कहे लग जथै, “हइ गोरू के जसना कोन हबै? अउ असना कोन हबै जउन ओखर संग लड सकै?”
जउन मनसे गोरू या ओखर मूरती के पूजा करथै अउ ओखर नाम के छाप लगवाथै, उनखर पीरा के धुंवा हरमेसा उठत रही अउ उनके न तो दिन हे सान्ति मिलही अउ न रात हे।”
एखर लग महासहर के तीन खन्डा हुइ गइस, सगलू देस के सहर नास हुइ गइस, भगवान बडा सहर बेबीलोन के सुरता करिस अउ उके अपन गुस्सा लग दारू के नसा पिलाइस।
हाय-हाय “हे बडा सहर जउन निक्खा मलमल के बैगनी कपडा अउ लाल रंग के कपडा पहिने करथै अउ सोना, कीमती मनि पथरा अउ मोती लग सजे रथै।