13 हइ सब अक्ठी मन होही अउ ऊ अपन-अपन सक्ति अउ हक ऊ गोरू के दइहिन।
उन अक जिघा हुइन अउ ताकि तोर सक्ति अउ इक्छा के जसना जउन कुछु पहिलेन लग निहचित रथै, ऊ पूर हुइ सकै।
तुम अक्ठी बात के धियान रखा, तोर आचरन मसीह के संदेस के काबिल होय। हइमेर मै चाहे आयके तोर लग मिलो चाहे दुरिहां रहिके तोर बारे हे सुनो, मोके हइ पता होय कि तुम अक्ठी आतमा हे मजबूत के संग स्थिर होय अउ संदेस लग बिस्वास के निता अकजुट हुइके मेहनत करथा।
ता मोर खुसी के पूर करा कि अक्ठी मन, अक्ठी माया, अक्ठी चित अउ अक्ठिन आतमा हे रहा।
ऊ गेडरा के बिरोध लडाई करही, पय गेडरा अपन बुलाय हर चुने हर अउ बिस्वासी चेलन के संग उनके हराय देही, काखे ऊ राजो के राजा अउ परभुओ के परभु हबै।”
भगवान अपन मकसद के पूर करै के निता उन राजन के मन के अकजुट के दय हबै, कि ऊ जानबर के अपन राज तब तक के निता सउप दे, जब तक भगवान के बचन पूर झइ हुइ जाय।”