मनसे खुदय हमके गुठेथै, कि तुम्हर इहां हमर कइसा सोगत हुइस अउ तुम कइसन मेर के देबी देउता के छांडके भगवान के लिघ्घो आयन, जेखर लग तुम सही अउ जिन्दा भगवान के सेबक बना।
ता उके भगवान के गुस्सा के दारू पिलाय जही, जउन बिना मिच्चर के ओखर गुस्सा के खोरिया हे कुढाय गय हबै अउ ऊ पवितर स्वरगदूतन अउ गेडरा के आगू आगी के बोहत पीरा हे डाल दय जही।
तब मै स्वरग हे अक्ठी बडा अउ चकित चिन्हा देखो, जउन सात स्वरगदूत सात आखरी परेसानी लय हर रथै, हइ आखरी परेसानी हबै, काखे इनखर दवारा भगवान के गुस्सा पूर हुइ जथै।
इहैनिता पहिले स्वरगदूत गइस अउ ऊ भुंइ हे अपन खोरिया कुढाय दइस, एखर बाद उन मनसेन के निता जउन ऊ गोरू के छाप लगे रथै अउ जउन ओखर मूरती के पूजा करथै, उनखर जीव हे बोहत पीरा बाले फुडिया निकड आथै।
जब गेडरा किताब के लइ चुकथै तब उन चार परानी अउ चउबीस सियान ऊ गेडरा के नमस्ते करथै, उन सबके लिघ्घो धूप अउ बसुरी रथै अउ उन महके बाले चीज लग भररे हर सोना के खोरिया रथै, जउन पवितर मनसे के बिनती रथै।