17 तब अक्ठी अउ स्वरगदूत ऊ मन्दिर लग जउन स्वरग हे हबै, बाहिर निकडिस ओखर हाथ हे चोंख हंसिया रथै।
तब भगवान के मन्दिर, जउन स्वरग हे हबै, खोल दय गइस अउ ऊ मन्दिर हे उनखर टीमा के पेटी दिखथै, उहै टेम बिजली चमकै लगिस अउ बादर के गडगडाहट गरजन हुइस अउ अक्ठी भुंइडोल हुइस अउ बडा-बडा ओर गिरिस।
इहैनिता जउन बादर हे बइठे रथै, ऊ भुंइ हे अपन हंसिया चलाइस अउ भुंइ के फसल काट के लइ गइस।
तब बेदी लग अक्ठी अउ स्वरगदूत आइस, आगी हे ओखर हक रथै, ऊ स्वरगदूत लग बोहत आरो लग कथै, “अपन चोंख हंसिया चलायके भुंइ के पूर अंगूर के फसल के गुच्छा अकजुट के काखे अंगूर पक चुके हबै।”
तब मोके मन्दिर मसे अक्ठी बोहत आरो उन सातो स्वरगदूत के कहत सुनाई देथै, “जा, भगवान कर गुस्सा के सातोठे खोरिया के भुंइ हे कुढाय देया।”
फेर सतमा स्वरगदूत जब अपन खोरिया हवा हे कुढाय दइस अउ मन्दिर के राजगद्दी लग अक्ठी बोहत आरो सुनाई देथै, “पूर हुइ गइस।”