ऊ राजगद्दी के आगू, चारो परानी अउ सियान के आगू अक्ठी नबा गीत गाथै, उन अक लाख चवालिस हजार मनसे के अलाबा, जउन सगलू भुंइ के मनसेन मसे खरीदे गय रथै अउ कउ ऊ गीत नेहको सीख सकथै।
जउन जीत पाही उके मै अपन भगवान के मन्दिर हे अक्ठी खम्भा बनाहुं। अउ ऊ फेर कबहुन बाहिर नेहको निकडही अउ मै अपन भगवान के नाम अउ अपन भगवान के सहर मतलब नबा यरुसलेम के नाम, जउन मोर भगवान के लिघ्घो लग स्वरग लग उतरै बाले हबै अउ अपन नबा नाम ओखर उप्पर लिखहुं।
एखर बाद मै देखो कि स्वरग हे अक्ठी दूरा खुले हबै, तब तुरही के आरो के जसना ऊ सब्द, जउन मै पहिले सुने रथो, मोर लग बात करथै, “मोर लिघ्घो इछो उप्पर आ कि मै तोके ऊ सब दिखाहुं, जेखर इन सबके बाद घटै के जरूरी हबै।”
तब मोके उहां अक्ठी घोडवा दिखथै, जउन पीला रंग के रथै, जउन ओखर उप्पर बइठे रथै, ओखर नाम मिरतू रथै अउ नरक ओखर पाछू-पाछू चले आथै, उके भुंइ के अक्ठी चउथाई भाग हे हक दय गइस, कि अकाल महामारी अउ पतेरा के गोरू दवारा नास करै के हक दय गइस।