18 जेखर दिमाक होय, ऊ उस गोरू के अंक के जोड ले काखे ऊ अंक कउनो मनसे के नाम लग सबंध हबै, ओखर अंक हबै छय सव छियासठ।
पय जब तुम ऊ मारै बाले घिनाय हर चीज जिहां जरूरी नेहको उहां ठाढ देखिहा, तब जउन यहूदिया हे होय, ता भाग के डोंगर छो कढ जाय।
पय हमार अधरम भगवान के नियाइपन दिखाथै ता हम काहिन कहि? का हइ जब भगवान गुस्सा होय लग उनही अधरमी कहे जही? मै हइ सगलू सही नजर लग कथो।
ऊ धन्य हबै जउन भगवान के बचन के पढ के सुनथै अउ जउन बात एहमा लिखे हबै अउ ऊ सही रास्ता हे चलथै, काखे परेसानी के टेम लिघ्घो हबै।
तब मोके असना अहसास हुइस कि मै अक्ठी कांच के समुन्दर के देखथो, जेहमा आगी मिलरे हर होय अउ मै देखथो कि उन ऊ गोरू के मूरती हे अउ ओखर नाम लग सबंधित गिनती हे जीत पाय लय हबै, उहो ऊ कांच के समुन्दर हे ठाढ हबै, उन भगवान के दवारा दय हर बसुरी रथै।
इके समझै के निता चलाक दिमाक के जरूरत हबै, सात मूड ऊ सात डोंगर हबै, जेखर उप्पर ऊ डउकी बइठे हबै, ऊ सात राजो हबै।
स्वरगदूत सहर के भीठी के नापिस, ऊ अक सव चवालिस हाथ रथै, ऊ मनसे के हाथ के लम्बाई लग नापै गय रथै, जउन हाथ स्वरगदूतो के हाथ हबै।