15 अउ तब अजगर सपुवा अपन मुंह लग नदिया के जसना पानी हइ मेर लग बहाइस कि ऊ डउकी बाढ लग बहि जाय।
मोके हरमेसा हइ डर लगे रथै कि कहुं भुतवा तुम्हर मन के मसीह के परति तुम्हर निस्कपट, पवितर लग दुरिहां झइ के दे, जसना सपुवा हब्बा के अपन चलाकी लग धोखा दय रथै।
पय भुंइ ऊ डउकी के बचामै के निता अपन मुंह खोलके ऊ नदिया के पानी के पी लेथै, जउन पोखडी बाले अजगर सपुवा अपन मुंह लग पानी बहाय रथै।
तब ऊ सक्तिसाली पोखडी बाले अजगर सपुवा ऊ पुरान सपुवा, जउन दोस लगामै बाले भुतवा कहाथै अउ सगलू दुनिया के भटकाथै, अपन दूत के संग भुंइ हे गिराय दइन।
ऊ स्वरगदूत मोर लग हइ कहिस “तै जउन पानी के देखे हबस, जिहां बेसिया बइठे हर हबै ऊ पानी के मतलब हबै, कुर, मनसे, देस अउ भासा हइ सब चिन्हा हबै।
अउ ऊ अजगर पंख बाले सपुवा के ऊ पुरान सपुवा मतलब दोस लगामै बाले भुतवा के पकडके अक हजार साल के निता बांधिस।