19 तब भगवान के मन्दिर, जउन स्वरग हे हबै, खोल दय गइस अउ ऊ मन्दिर हे उनखर टीमा के पेटी दिखथै, उहै टेम बिजली चमकै लगिस अउ बादर के गडगडाहट गरजन हुइस अउ अक्ठी भुंइडोल हुइस अउ बडा-बडा ओर गिरिस।
उहै टेम बोहत भुंइडोल हुइस अउ सहर के दसमा भाग माटी हे मिल गइस, सात हजार मनसे भुंइडोल हे मर गइन अउ जउन बच गइन, उनखर भित्तर डर समाय गइस अउ उन स्वरग के भगवान के धन्यबाद महिमा करै लगिन।
एखर बाद मै देखो कि स्वरग हे अक्ठी दूरा खुले हबै, तब तुरही के आरो के जसना ऊ सब्द, जउन मै पहिले सुने रथो, मोर लग बात करथै, “मोर लिघ्घो इछो उप्पर आ कि मै तोके ऊ सब दिखाहुं, जेखर इन सबके बाद घटै के जरूरी हबै।”
इहैनिता ऊ भगवान के राजगद्दी के आगू ठाढ हबै अउ ओखर मन्दिर हे दिन रात ओखर सेबा करत रथै अउ ऊ जउन राजगद्दी हे बइठे हबै, उनही सुरक्छा परदान करही अउ तम्बू जसना तानही।
जब पहिला स्वरगदूत पोंगा फूंकिस, ता आगी अउ ओर पइदा हुइस, जेहमा खून मिले हर रथै, उनके भुंइ हे फटक दय गइस, एखर बाद अक्ठी भाग भुंइ जर गइस अउ अक्ठी भाग रूख जर गइस अउ सगलू हरियर चारो जर गइस।