एखर बाद हम, जउन जिन्दा हबन अउ जउन ऊ टेम तक बचे रइहीं, उन मनसेन के संग बादर हे उप्पर उठाय लय जइही अउ आसमान हे परभु लग मिलब। हइ मेर हम सबदिना परभु के संग रहबो।
एखर बाद मै देखो कि स्वरग हे अक्ठी दूरा खुले हबै, तब तुरही के आरो के जसना ऊ सब्द, जउन मै पहिले सुने रथो, मोर लग बात करथै, “मोर लिघ्घो इछो उप्पर आ कि मै तोके ऊ सब दिखाहुं, जेखर इन सबके बाद घटै के जरूरी हबै।”