हे राजा, जब मै दुपहरी के टेम जब रास्ता हे रथो, तब मै बादर लग अक्ठी उजियार के उतरत देखथो, ओखर उजियार बेरा लग तेज रथै अउ मोर मनसेन के चउगिरदा पल्ला चमकिस।
भगवान के बचन जिन्दा अउ किरयासील हबै, ऊ कउनो दुइधारी तलबार लग बडके चोंख हबै अउ परान अउ आतमा के अउ गांठ-गांठ अउ गूदा-गूदा के अलगे करके आर-पार छेदथै अउ हिरदय के आदत अउ मन के जानथै।
तब मोके स्वरग लग उतरत अक्ठी दूसर सक्तिसाली स्वरगदूत के देखथै, जउन बादर के बन्डी के जसना पहिने हर रथै, ओखर मूड दबोरा के सात रंग के जसना रथै, ओखर चेहरा बेरा कस अउ गोड आगी के खम्भा के जसना रथै।
ओखर मुंह लग अक्ठी बोहत चोंख तलबार निकडिस कि ऊ ओखर लग देस के नास करै, ऊ लोहा के राजदंड लग उनखर राज करही, ऊ सर्वसक्तिमान भगवान के गुस्सा के जलजलाहट के अंगूर कर रस कुन्ड राउंदही।
सरदीस के मंडली के दूत के हइ लिख, जेखर लिघ्घो भगवान के सातठे आतमा अउ सातठे तरइया हबै, ऊ हइ कथै कि मै तोर कामन के जानथो, मनसेन के कहेका हबै कि तै जिन्दा हबस पय सही हे तै मरे हर हबस।