21 मै तोर उप्पर बिस्वास करत हइ चिट्ठी तुमके लिखथो, मै जानथो कि मै तोर लग जेतका कथो, तै ओखर लग कहुं जादा करबे।
अउ तै अपन खुदय हे बिस्वास करथस, कि अंधरन के गली दिखामै बाले अउ अंधियार हे पडे हर मनसेन के उजेड हव।
इहै बात मै तुमके लिखे हव कि जब मै तुम्हर लिघ्घो आंव ता जिनखर लग मोके खुसी मिलै चाही, उनखर दवारा मोके दुख झइ पहुंचाय जाय, काखे तुम सबके उप्पर मोर बिस्वास रहे हबै, कि मोर खुसी हे तुम सबके खुसी होही।
मै पूरी तरह लग खुस हव, काखे मोके हर बात हे तुम्हर उप्पर पूर भरोसा हबै।
इनखर संग हम अक्ठी अउ भाई के पठोथन जेही कइनमेर मउका हे हम उके परखे हबन अउ उके सही पाय हबन, अब तुम्हर निता ओखर भरोसा ओहमा अउ जादा खुसी अउ मदद के निता बोहत लग संचार करे हबै।
परभु हे बिस्वास करथो, कि तुम कउनो दूसर सिक्छा के झइ अपनइहा, जउन तुमही परेसान करथै, चाहे ऊ कउ होय ऊ सजा पइहीं।
हमके परभु हे तुम्हर उप्पर पूर बिस्वास हबै कि जउन-जउन आदेस हम तुमके देथन, उनके तुम मानथा अउ मानत रइहा।