16 अब सेबक के रूप हे नेहको, बलुक हरवाह लग कहुं बढके पिरिया भाई के रूप हे, हइ मोके बोहत पिरिया हबै, पय अब देह हे अउ परभु हे तुमके कहुं जादा पिरिया होही।
हरवाह लग मोर बिनती हइ हबै कि तुम सब बातन हे उन मनसे के आदेस माना, जउन ई भुंइ हे तोर गुरू हबै, तुम मनसे के खुस करै के उदेस्य लग केबल देखामै के निता नेहको, बलुक निस्कपट मन लग अउ परभु हे डर अउ बिस्वास रखके असना करा।
जिनखर मालिक बिस्वासी हबै, ऊ अपन मालिक के बेज्जती झइ करै कि अब तो ऊ उनखर जसना बिस्वासी भाई हबै, ऊ अब उनखर सेबा अउ जादा मन लगाय के करै, काखे ऊ जउन सेबा लग फायदा उठाउत हबै, संगी बिस्वासी अउ पिरिया हबै, उनके इनही सिधान्त के सिक्छा अउ उपदेस दय करा।