48 जिहां नरक हे किरवा नेहको मरथै, आगी अउ पीरा कबहुन नेहको बढाथै।
तब राजा अपन टेटरा पल्ला बालेन लग कहि, हे पापी मनसे मोर लग दुरिहां हुइ जा अउ सबरोज बाले आगी हे कढ जा, जउन भुतवा अउ ओखर स्वरगदूत के निता तइयार करे गय हबै।
ओखर सूपा ओखर हाथ हे हबै, ऊ अपन खनेड निक्खा साफ करही, ऊ अपन गोहूं कर कोठला हे अकजुट करही, पय भूसा के ऊ आगी हे झपोही, जउन कबहुन नेहको भुताही।
जसना कि नून के बलि के निता सुध्द करथै, ओसनेन हर अक्ठी मनसे के आगी लग सुध्द करे जही।
ऊ हाथ हे सूपा लइ चुके हबै, जेखर लग ऊ गोहूं के भूसा लग अलगे करके अपन खनेड के निक्खा साफ करके कोठला हे धरही पय भूसा के कबहुन नेहको बुझै बाले आगी हे डारी।”