पय मै तुम्हर लग हइ कथो, कि कउ अपन भाई या बेहन लग गुस्सा करही, ऊ स्वरग के अदालत हे सजा के लायक होही, जउन कउ अपन भाई के बेकार कहि, ऊ स्वरग के अदालत के सजा के लायक होही, जउन कउनो के मूरुख कहि, ऊ नरक के आगी के लायक होही।
अगर तुम्हर हाथ पाप के कारन बनही, ता उके खपलके फटक दे, ता तोर निता इहै निक्खा हबै, कि तुम लुलवा हाथ सबरोज के जीवन हे जा, अगर दोनो हाथ के संग हे नरक के आगी हे झपोय दय जही, जउन आगी कबहुन नेहको बुझही।