अगर तुम्हर हाथ पाप के कारन बनही, ता उके खपलके फटक दे, ता तोर निता इहै निक्खा हबै, कि तुम लुलवा हाथ सबरोज के जीवन हे जा, अगर दोनो हाथ के संग हे नरक के आगी हे झपोय दय जही, जउन आगी कबहुन नेहको बुझही।
ता उके भगवान के गुस्सा के दारू पिलाय जही, जउन बिना मिच्चर के ओखर गुस्सा के खोरिया हे कुढाय गय हबै अउ ऊ पवितर स्वरगदूतन अउ गेडरा के आगू आगी के बोहत पीरा हे डाल दय जही।
तब उनके बहकामै बाले भुतवा के आगी अउ धंधकत कुन्ड हे डाल दय जही, जिहां गोरू अउ ठगरा ग्यानी मनसेन के डाले गय रथै, उन रात दिन पीरा हे हरमेसा तक तडपत रइहीं।