मै तुम्हर लग सही कथो, कि जउन कउ हइ डोंगर लग कही, कि तै टर जा, अउ समुन्दर हे कढ जा अउ अपन मन हे सक झइ करै, पय बिस्वास करै, कि जउन मै कथो, ऊ हुइ जही ता ओखर निता ओसनेन हुइ जही।
हइ समुन्दर के उछाल लेहरा के जसना हबै, जउन अपन लज्जा गेजरा के रूप हे उछलथै, हइ रास्ता लग भटकत तरइया हबै, जेखर निता हरमेसा के निता बोहत अंधियार हे छांड दय हबै।