ऊ बिजहा जउन गली कर टाठा हे गिरे रथै, ओखर मतलब हबै, कि जब कउ स्वरग के राज के संदेस सुनथै, अउ उके नेहको समझथै, ता भुतवा आय के ओखर मन हे जउन बिजहा बोय रथै उके चुराय लइ जथै।
तब उनके बहकामै बाले भुतवा के आगी अउ धंधकत कुन्ड हे डाल दय जही, जिहां गोरू अउ ठगरा ग्यानी मनसेन के डाले गय रथै, उन रात दिन पीरा हे हरमेसा तक तडपत रइहीं।