अंगूर कर रस्सा अउ जुनहा खलरी के थइली हे कउ नेहको धरथै, असना करै लग अंजीर के रस खलरी कर थइली दोनो चिथर जही, इहैनिता नबा अंगूर कर रस्सा अउ खलरी के बेकार कर देही।”
कउ असना परिक्छा तुम्हर हे झइ आबै, जउन सगलू मनसेन के निता सहै लग बाहिर हबै, भगवान बिस्वास हबै, ऊ तुमही कउनो असना परिक्छा हे नेहको परै देही, जउन तुम्हर सहै लग बाहिर होय पय ऊ परिक्छा के संग उपायो करही कि तुम बिस्वास हे मजबूत रही सका।