70 पय पतरस फेरै मना कर देथै, चुटु टेम के बाद हे, उन जउन ठाढे रथै, तब फेरै ओखर लग कथै, “सही तै उन मसे अक्ठी हबस, तै गलीली हबस।”
मना करत पतरस कथै, तै का गुठेमै चाहथस, मोके कुछ समझ हे नेहको आथै, जब ऊ दूरा लग बाहर छो आ जथै, तब कुकडी बांसथै।
ऊ हरवाहिन उके देखके जउन ओखर लिघ्घो ठाढे रथै, फेरै कहे लागथै, ई उनखर मसे अक्ठी हबै।
पय ऊ किरिया खाय के कथै, जउन मनसे के बारे हे तुम कथा, उके मै नेहको जानथो।
ऊ सगलू अचम्भित हुइके गुठेमै लग जथै, देखा, हइ जउन बोलथै का सगलू गलीली परान्त के नेहको?