29 इहैमेर जब तुम, ई बातन के होत देखिहा, ता जान लइहा कि टेम लिघ्घो हबै, बलुक फेरका के दूरा हे हबै।
हे भाई अउ बेहन अक दूसर के उप्पर दोस झइ लगाबा, जेखर लग तुम्हरो हे दोस नेहको लगाय जही, देखा, नियाव करै बाले जज दूरा हे ठाड हबै।
अंजीर कर रूख लग ई किस्सा के सिखा, जब ओखर डगइल कोवड होथै, ता पत्ता निकडे लागथै, ता तुम जान जथा, कि जेठ के मोसम लिघ्घो हबै।
मै तुम्हर लग कथो, जब तक ई बात पूर नेहको होही, तब तक हइ पुरखा के मनसे नेहको मरहिन।