40 पय हइ मनसे लम्बा बिनती करै के दिखाथै, बिधवा डउकी के डेरा के झटक लेथै, अउ ओखर घर के हडप लेथै, इन मनसे के बोहत सजा मिलही।
“हे ढोंगहा गुरू अउ फरीसी तुमही लानत हबै, तुम मनसेन के निता स्वरग राज कर दूरा के बन्द करथा, न खुद ओहमा घुसथा अउ न उनही जाय देथा, जउन जाय के निता परयास करथै।”
हे ढोंगहा गुरू अउ फरीसी तुमही लानत हबै, तुम बिधवन के घरन के खाय डारथा अउ दूसर के देखामै के निता बोहत टेम तक पराथना करथा, इहैनिता तुमही बोहत सजा मिलही।
“हे सपुवा अउ नांग कर लरका, तुम कइसन सोचथा कि तुम नरक कर सजा लग बच जइहा?
बिनती करत टेम गैर यहूदी के जसना बकर-बकर झइ करा, काखे उन समझथै कि उनखर बोहत बोलै लग उनखर बिनती सुने जही।
अउ तेउहार के टेम हे, सभा घर हे सगलू लग निक्खा कोठा अउ मंडली हे आगू खुरसी के ताक हे रथै।
ऊ बिधवन कर घर लूट लेथै अउ दिखामै के निता लम्बा चवडा बिनती करथै, उनही बोहत लग सजा मिलही।
काखे अगर कउ तुमके गुलाम बनाबै, या तोर उप्पर नियाव करै, तोके कउनो फान्दा हे फसामै, खुद के तोर लग बडा समझै अउ तुम्हर मुंह हे झापड मारै ता तुम उके सह लेथा।
हइ मनसे घर हे लुके-लुके घुस जथै, अउ उन मूरख डउकिन के अपन जाल हे फसाय हबै, जउन अपन पाप के भार लग दबाय के कइन मेर के अभिलासा के वस हे हबै।