33 अउ अपन भगवान लग अपन पूर मन लग, अउ अक्किल लग, अउ परान अउ बल के संग माया करबे, अउ अपन परोसी लग अपन जसना माया करबे, सगलू बलि चढावा पूजा लग बढके हबै।
अगर तुम पवितर किताब हे जउन लिखवरे हबै, उके जाने होता कि मै मनसेन हे दया चाहथो, बलि नेहको ता तुम उनही झूठ नेहको ठहराउता जउन बेकसूर हबै।
अब तुम जा अउ हइ किस्सा के मतलब समझा, मै बलि नेहको चाहथो बलुक दया चाहथो, काखे धरमी मनसेन के निता नेहको पय पापिन के बुलामै आय हव।”
ऊ पहिले कहे रथै, “बलि अउ चढावा, गोरूबलि अउ पापबलि नेहको चाही अउ न तै उनखर लग मगन होथस।” अगर हइ सब बलि मूसा कर नियम के जसना चढाय जथै।