28 मूसा कर नियाव के गुरू मसे अक्ठी धरमगुरू इन बातन के जानके कि यीसु सदूकीन के निक्खा सबाल के जबाब देथै, ओखर लिघ्घो आयके पूछथै, हे परभु, सगलू आदेस लग बड्डे आदेस कउन हबै?
हे ढोंगहा गुरू अउ फरीसी तुमही लानत हबै, तुम्हर जउन कुछु हबै, तुम ओखर दसमा हिस्सा, इहां तक कि अपन पुदीने अउ साउख अउ जीरा के दसमा हिस्सा भगवान के देथा, पय फेरै तुम नियम के किताब के जरूरी बातन के, मतलब नियाव अउ दया अउ बिस्वास के छांड देथा, जरूरी हबै कि इहो करत रइहा अउ उनोन के मानैके चाही।
इहैनिता जउन कउ हइ नान लग नान आदेस मसे कउनो अक्ठी बात के नेहको मानही, अउ ओसनेन मनसेन के सिखामै, ऊ स्वरग कर राज हे नान कहाही, पय जउन उन आदेस के मानही अउ उनही सिखाही उहै स्वरग के राज हे बडा कहाही।
“हे फरीसी मनसे तुमही हाय हबै, तुम पुदीने, सुदाब अउ कइनमेर के सबजी के दसमा हिस्सा देथा, पय मनसे के परति नियाव अउ भगवान के परति माया के अपेक्छा करथा, हइ उहै हबै, जिनही पूर करै के जरूरी हबै, दूसर के अपेक्छा के करे बगैर।”