12 सकारे जब हुइस ता यीसु बैतनिय्याह गांव लग निकडिस, अउ ऊ भुखाय रथै।
यीसु चालीस रोज अउ चालीस रात उपास करथै, एखर बाद हे उके भूख लागथै।
ऊ अंजीर के रूख के देखके ओखर लिघ्घो जथै, यीसु के पत्ता के सिबाय कुछु नेहको मिलथै, काखे फडुहा के टेम नेहको रथै।
भिनसारे टेम यीसु, अउ ओखर चेलन रास्ता लग जथै, तब उन अंजीर कर रूख के जर तक झुराय हर देखथै।
उहां भुतवा चालीस रोज ओखर परिक्छा लेथै, यीसु उन दिना हे ऊ कुछु नेहको खाय रथै, जब चालीस रोज गुजर जथै, ता यीसु के भूख लगिस।
एखर बाद यीसु हइ जानथै कि अब सगलू कुछु पूर हुइ चुके हबै, पवितर किताब हे जउन कहे गय रथै ऊ पूर करै के निता कथै, “मै पियासे हव।”
इहैनिता उके हर मेर लग ओखर भाई के जसना बनाय गइस ताकि ऊ भगवान के सेबा हे दया बाले अउ बिस्वास करै बाले पुजारी बन सकै अउ मनसेन के पापन लग छमा के निता जीव दइ सकै।