25 अक्ठी उंटवा के नाक ले धागा सुज्जी कर छेदा लग घुस सकथै, पर अक्ठी धनी मनसे भगवान कर राज हे जाय के निता बोहत दिग्गत हबै।
हे अंधरा सियान तुम तो मच्छड के छान लेथा, पय उंटवा के खा जथा।
चेला बोहत चकराय के अपन हे कथै, ता फेर केखर मुकति हुइ सकथै?
कउनो उंटवा के सूजी के नाक मसे निकरै के लिखडी हबै, पय कउनो धनी मनसे के, भगवान कर राज हे जाय के निता बोहत दिग्गत हबै।