18 निक्खा रूख बेकार फडुहा नेहको देय सकथै, अउ न बेकार रूख अच्छा फडुहा लान सकथै।
इहैमेर हर अक्ठी निक्खा रूख हे निक्खा फडुहा फरथै अउ बेकार रूख हे बेकार फडुहा फरथै।
जउन रूख निक्खा फडुहा नेहको फरथै, ओही खपलके आगी हे झपोय दय जथै।
“कउनो बढिहा रूख बेकार फडुहा नेहको देथै, अउ न कउनो बेकार रूख बढिहा फडुहा देथै।
काखे देह आतमा के बिरोध हे अउ आतमा देह के बिरोध हे इक्छा करथै, अउ हइ अक दूसर के बैरी हबै, इहैनिता कि जउन तुम चाहथा, उहै नेहको के पाथा।