“हे ढोंगहा गुरू अउ फरीसी तुमही लानत हबै, तुम मनसेन के निता स्वरग राज कर दूरा के बन्द करथा, न खुद ओहमा घुसथा अउ न उनही जाय देथा, जउन जाय के निता परयास करथै।”
पय एहमा का हबै, अगर भगवान अपन गुस्सा दिखामै के निता अउ अपन सक्ति परगट करै के निता उन मनसेन के जउन गुस्सा के निता रथै अउ जिनखर नास होय बाले रथै, बोहत धीर के संग उन बातन के सहन करिन।
हइ दुनिया के भगवान उन अबिस्वासिन के दिमाक के अंधियार हे डाल दय हबै, कि ऊ भगवान के परति छाप हे मसीह के महिमा के संदेस लग अलगे रहै उजियार के झइ देख पामै।
तब स्वरगदूत उके पत्ताल कुन्ड हे फटक देथै, उके बन्द करके ऊ पर सील लगाय दइस, कि ऊ अक हजार साल पूर होमै तक अब कउनो देस लग छल नेहको करै, हइ सगलू होमै के बाद हइ जरूरी रथै कि उके चुटु टेम के निता अजाद करे जाय।