5 जब तुम बिनती करत हबा, ता ढोंगहन कर जसना झइ करिहा, उन मनसेन के दिखामै के निता, मंडली हे अउ गली कर मोड हे ठाड हुइ के बिनती करथै, मै तुम्हर लग सही कथो, उनही उनखर फडुहा मिल चुकिस।
“हे ढोंगहा गुरू अउ फरीसी तुमही लानत हबै, तुम मनसेन के निता स्वरग राज कर दूरा के बन्द करथा, न खुद ओहमा घुसथा अउ न उनही जाय देथा, जउन जाय के निता परयास करथै।”
जब कबहुन तुम उपास करथा, ता ढोंगहन के जसना तुम्हर मुंह उदास झइ रहै अउ उन अपन मुंह के इहैनिता उतारै रथै, ताकि दूसर मनसे उनखर उपास के जानै, मै तुम्हर लग सही कथो, कि अपन फडुहा पाय चुके हबै।
“पय पइसा उगाहै बाले सिपाही दुरिहां ठाड रथै अउ इहां तक कि स्वरग छो, अपन आंखी तक नेहको उठावत रहिस, अपन छाती ठोक के कथै, हे भगवान मै पापी हबो मोर हे दया कर।
हर मेर के पराथना बिनती अउ निबेदन सहित आतमा के मदद लग हर मउका हे पराथना करत रहा, हइ लक्छ लग सगलू मेर के परयास करत रहा सचेत रहा, अउ सगलू पवितर सेबकन के निता पराथना करा।