34 इहैनिता कल के चिन्ता झइ करा, कल अपन चिन्ता खुदय कर लेही आज के दुख आज के निता बोहत हबै।
हमर दिन भर के रोटी आज हमके दे।
मै तुम्हर लग कथो, चिन्ता झइ करा अउ न अपन जीवन चलामै के निता कि हम का खइ या का पी अउ न अपन देह के निता कि हम का पेहनी। का जीवन खाना लग अउ का देह के खुरथा पइजामा लग बढके नेहको हबै?
तुम मसे कउन असना मनसे हबै? जउन चिन्ता करके अपन उमर अक्ठी पल अउ बढाय सकथै।
परभु उके जबाब देथै, “मारथा हे मारथा तै बोहत बातन के बारे हे चिन्तित अउ परसान रथस।
हमर रोज दिना के रोटी दय के।
“जब तुमके बिनती भवन अउ सजा देय बाले अउ सासक के आगू खींच लइ जइही, ता एखर बारे हे चिन्ता झइ करबे, कि तुम कसना अउ काहिन जबाब दइहा, पय अपन पल्ला लग काहिन कहिबे।
यीसु अपन चेलन लग कथै, इहैनिता मै तुम्हर लग कथो, चिन्ता झइ करा कि हम काहिन खाबो या अपन देह के बारे हे कि हम काहिन पहिनब।
तुम्हर निता मै सान्ति छांडे जथो, मै अपन सान्ति तुमही देथो, जसना दुनिया देथै, मै तुमही ओसना नेहको देथो, तुम्हर मन झइ घबराय अउ झइ डेराय।
मै तुम्हर लग हइ सब इहैनिता कहे हव, कि तुम मोर हे सान्ति पाय सका, दुनिया हे तुमही दुख सहै का पडही, पय हिम्मत धरा, मै दुनिया के जीत लय हव।”
अउ चेला के बिस्वास के स्थिर करत रथै अउ हइ उपदेस देथै, कि बिस्वास हे बने रहा अउ हइ कहत सिखाथै, हमके बोहत दुख उठाय के भगवान कर राज हे परवेस करै के होही।
कउनो बात के चिन्ता झइ करा, पय सगलू जरूरत हे पराथना करा, अउ बिनती अउ धन्यबाद के संग भगवान के आगू अपन निबेदन करा।
तुम अपन सगलू चिन्ता ओखर उप्पर छांड देया काखे ओही तुम्हर चिन्ता हबै।