27 तुम मसे कउन असना मनसे हबै? जउन चिन्ता करके अपन उमर अक्ठी पल अउ बढाय सकथै।
अउ न अपन मूड के किरिया खइहा, काखे तै अकोठे चूंदी के चरका अउ न करिया कर सकथस।
मै तुम्हर लग कथो, चिन्ता झइ करा अउ न अपन जीवन चलामै के निता कि हम का खइ या का पी अउ न अपन देह के निता कि हम का पेहनी। का जीवन खाना लग अउ का देह के खुरथा पइजामा लग बढके नेहको हबै?
अउ बन्डी के चिन्ता काखे करथा? देखा पतेरा के फूलन के कइसन बढथै, उन न ता मेहनत करथै अउ न खुरथा पइजामा बनाथै।
इहैनिता चिन्ता झइ करा कि हम का खइ या का पी अउ का पहिनब?
इहैनिता कल के चिन्ता झइ करा, कल अपन चिन्ता खुदय कर लेही आज के दुख आज के निता बोहत हबै।
परभु उके जबाब देथै, “मारथा हे मारथा तै बोहत बातन के बारे हे चिन्तित अउ परसान रथस।
“जब तुमके बिनती भवन अउ सजा देय बाले अउ सासक के आगू खींच लइ जइही, ता एखर बारे हे चिन्ता झइ करबे, कि तुम कसना अउ काहिन जबाब दइहा, पय अपन पल्ला लग काहिन कहिबे।
यीसु अपन चेलन लग कथै, इहैनिता मै तुम्हर लग कथो, चिन्ता झइ करा कि हम काहिन खाबो या अपन देह के बारे हे कि हम काहिन पहिनब।
पय सहीमा भगवान अपन इक्छा के जसना सगलू अंग के देह हे जिघा दय हबै।
कउनो बात के चिन्ता झइ करा, पय सगलू जरूरत हे पराथना करा, अउ बिनती अउ धन्यबाद के संग भगवान के आगू अपन निबेदन करा।
तुम अपन सगलू चिन्ता ओखर उप्पर छांड देया काखे ओही तुम्हर चिन्ता हबै।